प्रवर्द्धन विधि – कलम

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प्रवर्धन विधि - कलम

उद्यानिकी के मूलतत्व

कलम:-

पौधे के किसी भाग को काटकर उसे नर्सरी में रोपित कर नये पौधे के रूप में विकसीत करना कलम (Cutting) कहलाता है।

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कलम के प्रकार 

Types of Cutting
Types of Cutting
  1. तना कलम (Stem Cutting):-

तने से कुछ भाग को लेकर नए पौधे तैयार करना तना कलम कहलाता है।

i) कठोर काष्ठीय कलम (Hard Wood Cutting):-

इस विधि में कलम पौधे की एक वर्ष अथवा अधिक पुरानी काष्ठीय शाखा से कलम को काटा जाता है। अधिक वृद्धि/ ओजपूर्ण (Vigorous Growth) और लंबी पोर (internode) वाली शाखा से कलम नहीं लेनी चाहिए। कलम की लंबाई 10-45 सेमी. रखी जाती है। दो से तीन कली (Bud) वाली कलम जिसे नीचे से कली के पास से तथा ऊपर की कली से 1 से 2 सेमी ऊपर काटा जाता है। कलम के ऊपरी भाग को काटते समय तिरशा काटा जाता है जिसे से लगाने के बाद सिंचाई करते समय पानी उस के कटान के ऊपर न रुके। कलम को लगाने से पूर्व IBA के 1500 ppm के घोल से उपचारित करना चाहिए जिस से जड़ का विकास जल्दी होता है। कलम बनाने का समय नंवबर से फरवरी होता है। इस प्रकार की कलम अंगूर, अंजीर, अनार शहतूत, गुलाब आदि में बनाई जाती है।

ii) अर्द्ध कठोर काष्ठीय कलम (Semi Hard Wood Cutting) –

Hard wood and Semi Hard Wood Cutting
Hard wood and Semi Hard Wood Cutting

4-9 माह पुरानी अर्द्ध कठोर काष्ठीय शाखा से कलम को लिया जाता है। कलम की लंबाई 7-20 सेमी होनी चाहिए। कलम की ऊपरी 2-3 पत्तियों को छोड़ कर पूरी पत्तियों को हटा दिया जाता है।

यह कलम बरसात के मौसम में बनाई जाती है। जब वातावरण में अधिक अद्रता होती है। PGR से उपचारित कर इसे तैयार क्यारी में रोपित कर दिया जाता है। यह कलम आम, अमरूद, कटहल, नीबू, आंवला आदि में बनाई जाती है।

iii) कोमल काष्ठीय कलम (Soft Wood Cutting) –

इस प्रकार की कलमें फलवृक्षों के प्रवर्द्धन में कम उपयोग ली जाती है। और कलम बनाते समय अधिक अद्रता होनी चाहिए। कलम 2-3 माह पुरानी शाखा से ली जाती है। कलम की लंबाई 10-15 सेमी रखी जाती है। इस प्रकार की कलमें सेब, नाशपाती, अमरूद, और कुछ अलंकृत पौधों में तैयार की जाती है।

iv) शाकीय कलम (Herbaceous Cutting)

समान्यत अलंकृत (Ornamental) पौधों को शाकीय कलम से प्रवर्धित किया जाता है। कलम 1-2 माह पुरानी शाखा से बनाई जाती है

Soft wood and Herbaceous Cutting
Soft wood and Herbaceous Cutting

कलम के आधार से पत्तियों को काट कर हटा दिया जाता है शेष ऊपरी पत्तियों को रहने दिया जाता है क्योंकि इस समय शाखा में संचित कार्बोहाइड्रेट कम होता है और पत्तियां भोजन बनाने का काम करती है। यह कलम ऑल्टरनेन्थरा (Alternanthra), कोलियस (Coleus) पिलिया, इरेसीन (Iresine) के प्रवर्द्धन में उपयोग की जाती है।

2. जड़ कलम (Root Cutting) –

ऐसे पौधे जो सकर्स (Suckers) पैदा करते है वे जड़ कलम से आसानी से प्रवर्धित किए जा सकते है। 2-3 सेमी मोटी जड़ों से 10-15 सेमी लंबी कलम तैयार की जाती है। जड़ कलम शीतोष्ण कटिबंधीय फलों में दिसंबर तथा उपोष्ण कटिबंधीय फलों की वर्षा ऋतु बनाना उतम रहता है। कलम को बोने से पूर्व हार्मोन से उपचारित करना चाहिए। तैयार कलम को सीधा खेत में रोपित कर दिया जाता है।

3. पत्ती कलम (Leaf Cutting) –

सामान्यत अलंकृत और गूदेदार पादपों (succulent) का प्रवर्द्धन पत्ती कलम से किया जा सकता है। गूदेदार पौधों की पत्तियों में मोटी पत्तियों में कलियाँ पाई जाती है।

Leaf Cutting
Leaf Cutting

ऐसे पौधों से पत्तियों को काटकर नर्सरी में रोपित कर दिया जाता है और एक पौधे का निर्माण हो जाता है। Begonia (पत्थर चट्टा), Sansevieria, Crassula आदि में इस प्रकार पौधे तैयार किए जा सकते है।  

References cited

1.Chadha, K.L. Handbook of Horticulture (2002) ICAR, NewDelhi

2.Jitendra Singh Basic Horticulture (2011) Kalyani Publications, New Delhi

3.K.V.Peter Basics Horticulture (2009) New India Publishing Agency

4. Jitendra Singh Fundamentals of Horticulture, Kalyani Publications, New Delhi

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