To study the plant propagation by sexual mean

Horticulture Guruji

Exercise 4

To study the plant propagation by sexual mean

HORT 111

लैंगिक प्रवर्धन

बीज से नए पौधे तैयार करना लैंगिक प्रवर्धन कहलाता है। लैंगिक जनन से ही लैंगिक प्रवर्धन होता है लैंगिक जनन में नर व मादा युग्मक का संयोजन (fusion) होता है फलस्वरूप बीज का निर्माण होता बीज से प्राप्त होने वाले पौधे मातृ (parent) पौधे से भिन्न हो सकते है तथा बीजों का निर्माण अर्धसूत्री विभाजन से होता है

लाभ :-

  1. बीज से प्रवर्धन आसान होता है।
  2. पौधों में भिन्नता (diversity) पैदा करने में लैंगिक प्रवर्धन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। और भिन्नता से कभी कभी अधिक उपज वाले पौधे मिल जाते है जिसे chance seedling कहते है।
  3. बीज से पैदा होने वाले पौधे लंबी आयु वाले, मृदा, जलवायु तथा बीमारियों के प्रति अधिक सहिष्णु (Tolerant) होते है।
  4. कुछ पौधों में अलैंगिक प्रवर्धन से पौधे तैयार नहीं किए जा सकते उनमें बीज (Sexual) से पौधे तैयार किए जा सकते है।
  5. कुछ फल वृक्षों जैसे नीबू (Citrus) आम और जामुन आदि में बहुभ्रूणता(Polyembryony) पाई जाती है। ऐसे बीजों में पौधे itegument tissue और भ्रूण की nucellar कोशिका से पैदा होते है। इस प्रकार के पौधे निषेचन (Fertilization) से मुक्त होते है और गुणों में पैतृक के समान ही होते है।
  6. कुछ पौधों की प्रजातियों में जैसे सेब, (Malus sikkimensis, hupensis, M. sergenti) में Apomixis पाई जाती है जिससे बीज से तैयार होने वाले पौधे गुणों में पैतृक के समान ही होते है।

Apomixis: – Development of embryo through asexual reproduction.

  1. अलैंगिक प्रवर्धन विधियों के लिए मूलवृंत (rootstock) बीज से ही तैयार किए जाते है।

हानियाँ :

  1. बीज से तैयार होने वाले अधिकतर पौधे गुणों में पैतृक के समान नहीं होते है।
  2. बीजू पौधों की वृद्धि अवस्था (juvenile phase) बहुत लंबी होती है इसलिए पुष्पन तथा फलन बहुत देरी से होती है।
  3. बीजू पौधे लंबे कद और उलझे हुए आकार के होते है अतः तुड़ाई और अन्य उद्यानिकी क्रियाओं में परेशानी होती है।
  4. बीजू पौधों उपज और फलों की गुणवता कम होती है।
  5. कुछ रोग जैसे Psorosis नीबू वर्गीय फलों में तथा कुछ वायरस आड़ू और लीची में बीज के द्वारा गमन करते है इसलिए स्वस्थ पौध प्राप्त नहीं की जा सकती है।

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