चकोतर (ग्रैपफ्रूट)

Horticulture Guruji

चकोतर (ग्रैपफ्रूट)

फल विज्ञान

फर्र्बिडन / ब्रेक्फास्ट फ्रूट

  • वानस्पतिक नाम  – सिट्रस पैराडिसी
  • कुल – रूटेसी
  • उत्पत्ति – वेस्ट इंडीज
  • सिट्रोन (Citron) – फारसी सेब (Persian apple)
  • ग्लूकोसाइड पाया जाता है – हेस्पिरिडिन
  • ग्रेपफ्रूट की सुगंध – नूटाकाटोन

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  • ग्रेपफ्रूट का पूर्वज शैडॉक या प्यूमेलो (सी. ग्रैंडिस) है।
  • यह 1830 में जेम्स मैकफेडेन द्वारा प्यूमेलो से अलग किया गया था।
  • इस किस्म को ग्रेपफ्रूट नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसके फल अंगूर की तरह ही गुच्छों में लगते हैं।
  • रस में हल्की कड़वाहट ‘नारिंजिन’ के कारण होती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका औषधीय महत्व है। (मलेरिया से बचाव में)

किस्मे

  • डंकन
  • मार्श सीडलेस
    ग्रेपफ्रूट
    ग्रेपफ्रूट
  • फोस्टर
  • रेड ब्लश
  • ट्राइंफ
  • सहारनपुर स्पेशल
  • थॉम्पसन
  • स्टार रूबी – उत्परिवर्तन प्रजनन के माध्यम से हडसन ग्रेपफ्रूट से विकसित।

जलवायु

  • सूखा और शुष्क जलवायु या उपोष्णकटिबंधीय जहां गर्मी और सर्दी अलग-अलग होती है।
  • वार्षिक वर्षा – 15 से 150 सेमी.
  • 500 से 1000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर उगाया जाता है।

मिट्टी

  • अच्छी जल निकासी वाली, गहरी और स्वतंत्र रूप से काम करने वाली जलोढ़ (alluvial) मिट्टी।
  • बड़ी मात्रा में चूने वाली कैलकेरियस मिट्टी अनुपयुक्त रहती है।

प्रवर्धन

  • व्यवसायिक तौर पर कलिकायन द्वारा प्रवर्धित ।

मूलवृंत (रूटस्टॉक)

  • जट्टी खट्टी (सी. जम्भिरी) – दक्षिण भारत
  • कर्ण खट्टा (सी. कर्णा) – उत्तर भारत, उत्तर प्रदेश और असम।
  • कैरिज़ो और ट्रॉयर – पंजाब में

रोपण

  • 6×6 से 8×8 मीटर की दूरी पर 60-75 सेमी3 आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं।
  • मानसून की शुरुआत में पौधारोपण किया जाता है।

सिंचाई

  • पहली सिंचाई रोपण के तुरंत बाद।
  • गर्मियों में 10 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 10-15 दिन के अंतराल पर।
  • फूल आने और फल लगने की अवस्था के दौरान मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखनी चाहिए।

खाद एवं उर्वरक

  • आम तौर पर, उर्वरक एक वर्ष में तीन बार यानी दिसंबर-जनवरी, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में दिया जाता है
  • गोबर की खाद जून-जुलाई या सितंबर-अक्टूबर में दी जाती है।
  • एन:पी:के – 600 : 400 : 600 ग्राम/पेड़

संधाइ और छंटाई

  • युवा पौधों को सहारा दिया जाता है ताकि वे अच्छे से विकसित हो सकें।
  • वाटर स्प्राउट, कमजोर, आड़ी-तिरछी शाखाओं को समय-समय पर काटा जाता है।

तुड़ाई

  • उत्तर भारतीय जलवायु के तहत वसंत (मार्च) की शुरुआत में चकोतरा साल में एक बार फूल और फल देता है और लगभग आठ से नौ महीने बाद अगले नवंबर-दिसंबर में फल परिपक्व हो जाते है।
  • फलों की तुड़ाई तब की जाती है जब उनका रंग हरे से पीला हो जाता है।
  • पूरी तरह से पके हुए बड़े आकार के फलों को समय-समय पर तोड़ा जाता है।

उपज

  • 7 से 10 वर्ष 200-300 फल/वृक्ष
  • 20 वर्ष – 500-1000 फल/पेड़

 

ग्रेपफ्रूट और प्यूमेलो के बीच अंतर

ग्रेपफ्रूट

प्यूमेलो

वानस्पतिक नाम – सिट्रस पैराडिसी

वानस्पतिक नाम – सिट्रस ग्रैंडिस

नारंगी से बड़ा लेकिन प्यूमेलो से छोटा

बड़ी नींबू प्रजाति

फल का आकार गोल होता है

फल अश्रु बूँद के आकार का होता है

फल का रंग लाल पीला होता है

फल का रंग पीला-नारंगी होता है

फलों की त्वचा चिकनी होती है

फलों में हल्के खड्डे होते हैं और उनमें तेल कोशिकाएँ होती हैं जो छोटे हरे धब्बों के रूप में दिखाई देती हैं।

फल गुच्छों में पैदा होते हैं (अंगूर की तरह)

फल एकल लगते हैं

 

References cited

  1. Commercial Fruits. By S. P. Singh
  2. A text book on Pomology, Vol,1. by T. K. Chattapadhya
  3. Tropical Horticulture, Vol.1, by T. K. Bose, S. K. Mitra, A. A. Farooqui and M. K. Sadhu

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