फल और रोपण फसलों की परिभाषा, महत्व और विस्तार

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फल और रोपण फसलों की परिभाषा, महत्व और विस्तार

फल विज्ञान

Pomology: –

शब्द Pomology लेटिन भाषा के शब्द ‘Pomum’ मतलब फल (fruits) और Greek भाषा के शब्द ‘logy’ मतलब विज्ञान (science) से बना है तथा फलों के उत्पादन का विज्ञान Pomology कहलाता है

महत्व और विस्तार

2017-18 के दौरान, 25.43 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र से बागवानी फसलों का उत्पादन 311.71 मिलियन टन था। 2004-05 से 2017-18 तक फलों का उत्पादन 50.9 मिलियन टन से बढ़कर 97.35 मिलियन टन हो गया है।

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भारत विश्व में फलों और सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन देश है उत्पादन में पहला स्थान चीन का है| भारत आम, केला, नारियल, काजू, पपीता तथा अनार उत्पादन में पहले स्थान पर है तथा कुछ फलों की उत्पादकता भी बहुत अधिक है जैसे पपीता, केला आदि

यह अनुमान है कि हमारे देश में प्रति व्यक्ति फल की उपलब्धता 207.9 ग्राम है। प्रति दिन जो 230 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन की अनुशंसित मात्रा से काफी नीचे है।

रोपण फसलें एक अन्य संभावित क्षेत्र है जिसमें रोजगार सृजन, विदेशी मुद्रा अर्जित करने और बड़े पैमाने पर मानव जाति के समग्र सहायक आजीविका निर्वाह के बहुत सारे अवसर हैं।

इनको देखते हुए, बागवानी फसलों के उत्पादन और क्षमता में वृद्धि की बहुत गुंजाइश है।

फल एवं रोपण फसलों का महत्व इस प्रकार है

  1. आय उपार्जन:- फलों और रोपण फसलों को बेचकर अधिक पैसा कमाया जा सकता है क्योंकि उनकी प्रति हेक्टेयर उपज अधिक होती है।
  2. रोजगार सृजन: – बागवानी फसलों को फसल उगाने से लेकर कटाई और प्रसंस्करण में पूरे वर्ष श्रमिकों की आवश्यकता होती है, इसलिए उद्यान फसलों में अधिक रोजगार पैदा होते हैं।
  3. औद्योगिक विकास:- उद्यानिकी फसलें आम, अंगूर तथा रोपण फसलें कारखानों को कच्चा माल देती हैं। ये फैक्ट्रियां इनसे उत्पाद बनाकर बाजार में बेचती हैं।
  4. धार्मिक और पवित्र मूल्य: – पेड़ के पत्ते, फूल, फल आदि धार्मिक महत्व के होते हैं और अनुष्ठानों, संस्कारों और समारोहों में उपयोग किए जाते हैं। पूजा में नारियल का उपयोग किया जाता है भगवान को बेल के पत्ते चढ़ाए जाते हैं।
  5. खाद्य मूल्य:- काजू, बादाम, अखरोट जैसे कुछ फल वसा और प्रोटीन से भरपूर होते हैं और कई क्षेत्रों में आलू और केले का उपयोग मुख्य खाद्य पदार्थों के रूप में किया जाता है जो शरीर की सभी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
  6. पोषण मूल्य:- फल पोषक तत्वों से भरपूर होती है इसलिए Indian council of Medical research (ICMR) ने 120 ग्राम फलों को प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन खाने की अनुशंसा की है।

पोषक तत्व फलों में निम्न प्रकार से है –

विटामिन A

आम  – (4800 IU/100gm)> पपीता- (2020 IU/100gm)

विटामिन B (Thiamine)

काजू – (630mg/100gm) > अखरोट (450mg/100gm) > सूखा हुआ खुमानी – (217mg/100gm)

विटामिन B2 (Riboflavin)

वेलपत्र – (1191mg / 100gm) > पपीता – (250mg / 100gm) > लीची – (122.5mg / 100gm)

विटामिन C

चेरी – (1000-4000mg / 100gm) > आवलां – (600mg / 100gm) > अमरूद – (299mg / 100gm)

कार्बोहाइड्रट

खुमानी – (72.81%) > पिंड खंजूर  – (67.30%) > सूखा करोंदा  – (67.10%)

प्रोटीन

काजू – (21.20%) > बादाम – (20.80%) > अखरोट – (15.60%)

वसा

अखरोट – (64.50%) > बादाम – (58.90%) > काजू – (46.90%)

रेशा

अमरूद – (6.90%) > केन्था – (5.20%) > अनार – (5.10%) > आंवला – (3.40%)

कैल्सीयम

लीची – (0.21%) > सूखा करोंदा – (0.16%) > केन्था (0.13%)

फॉसफोरस

काजू – (0.45%) > अखरोट – (0.38%) > लीची – (0.30%)

लोह तत्व

सूखा करोंदा – (39.1%) > पिंड खंजूर – (10.6%) > काजू – (5.0%)

  1. सौंदर्य मूल्य (Aesthetic value):- बहुत से राजा – महाराजा वृक्षों को युवा होने का चिन्ह (symbol) मानते थे और इनका रोपण महल में करवाते थे। मुग़ल बादशाहों ने अपने उद्यानों की शैलियों में फल वृक्षों और फूलो को बहुत महत्व दिया है । वे cypress के पौधे को मृत्यु का प्रतीक मानते थे और इसका रोपण मकबरों के आस पास करवाते थे । वृत्तमान में फल वृक्षों को सड़क के दोनों ओर रोपित किया जाता है जिसे avenue Planting कहते है।
  2. निर्यात मूल्य :- भारतीय उत्पादों की विदेशों में बहुत मांग है, भारत से आम, अंगूर आदि का निर्यात किया जाता है। इन उत्पादों के निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

References cited

  1. Commercial Fruits. By S. P. Singh
  2. A text book on Pomology, Vol,1. by T. K. Chattapadhya
  3. Tropical Horticulture, Vol.1, by T. K. Bose, S. K. Mitra, A. A. Farooqui and M. K. Sadhu

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