भिंडी की खेती

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भिंडी की खेती

सब्जी / शाक विज्ञान

Okra (Abelmosus esculentus) को भारत में भिंडी के नाम से भी जाना जाता है। भिंडी गर्मियों के मौसम की महत्वपूर्ण सब्जियां हैं जिस की मसालेदार सब्जी और सूप को बहुत पसंद किया जाता हैं। भिंडी का बीज प्रोटीन से भरपूर होता है और खाद्य तेल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भिंडी विटामिन, कैल्शियम, पोटेशियम और अन्य खनिजों में समृद्ध है। यह आयोडीन का भी एक समृद्ध स्रोत है जो घेंगा रोग में लाभदायक होता है। भिंडी के उत्पादन में भारत एक प्रमुख देश है। इस अध्याय में, आप इसकी खेती सीखेंगे।

भिंडी
भिंडी

अन्य नाम:- ऑकरा, लेडी फिंगर

वानस्पतिक नाम:- Abelmoschus esculentus

कुल :- Malvaceae

गुणसूत्र संख्या:- 2n=130

उत्पत्ति:- Africa.

महत्वपूर्ण बिन्दु

  • भिंडी day neutral फसल है
  • भिंडी often cross pollinated फसल होती है
  • भारत दुनिया में भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • भिंडी में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है जो गल गांठ में मदद करता है।
  • प्रमुख प्रजनन उद्देश्य येलो वेन मोजेक वायरस (YVMV) के लिए प्रतिरोधी किस्म विकसित करना है।
  • भिंडी में प्रणालीगत शोध कार्य डॉ. हरभजन सिंह द्वारा शुरू किया गया है।
  • उच्च तापमान (420C के ऊपर) फूल कलियों के झड़ने का कारण बनता है।
  • भिंडी का निर्यात मानक आकार 6-8 सेमी लंबे फल है।

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भिंडी का पौधा
भिंडी का पौधा
Okra Plant
Okra Plant

क्षेत्र एवं उत्पादन

Sr. No.

राज्य

2018

क्षेत्र  (000ha)

उत्पादन (000MT)

1

वेस्ट बंगाल

77.55

914.86

2

गुजरात

75.27

921.72

3

उड़ीशा

64.07

566.88

4

बिहार

57.41

787.78

5

मध्य प्रदेश

43.76

638.34

6

छततिशगढ़

30.88

323.24

7

हरयाणा

24.53

233.96

 

अन्य

135.55

1708.16

 

कुल

509.02

6094.94

Source NHB Database 2018

आर्थिक महत्व और उपयोग

  • भिंडी में 89 ग्राम नमी, 10.4 ग्राम शुष्क पदार्थ, 1.9 ग्राम प्रोटीन, 66 ग्राम कैल्शियम, 1.5mg लोहा, 0.07mg thiamin, 0.10mg राइबोफ्लेविन और 0 mg विटामिन C प्रत्येक 100g उपभोज्य भाग होता है।
  • हरे फलों को करी में डाला जाता है और सूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • गुड़ की तैयारी में गन्ने के रस को साफ करने के लिए जड़ और तना उपयोग किया जाता है।
  • कच्चे फाइबर युक्त तनों का उपयोग कागज उद्योग में किया जाता है।
  • सूखे बीजों में 13-22% खाने वाला तेल और 20-24% प्रोटीन होता है।
  • बीज की खली को पशु आहार के रूप में उपयोग किया जाता है।
भिंडी का पुष्प
भिंडी का पुष्प

जलवायु

भिंडी उष्णकटिबंधीय जलवायु की फसल है और सर्वोत्तम उत्पादन के लिए गर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यह सूखे और कम तापमान (पाले) के लिए अतिसंवेदनशील है। भिंडी की फसल के लिए अधिकतम तापमान 20-30oC है। बीज अंकुरण के लिए 25 और 35oC के बीच का  तापमान आवश्यक है। जब गर्मियों में तापमान 42oC से ऊपर चला जाता है तो फूलों की कलियां झड़ने लग जाएगी और कम उपज का कारण बनता हैं।

मिट्टी

इसकी खेती रेतीली दोमट से लेकर सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। हालांकि, अच्छी पैदावार के लिए ढीली, बेहतर जल निकासी वाली अच्छी तरह से सड़ी हुई दोमट मिट्टी  उत्तम रहती है। भिंडी के लिए मिट्टी का उपुक्त पीएच 6-6.8 होता है।

किस्में

  1. Introduction
  • पर्किन्स लॉन्ग ग्रीन: –उत्तर भारतीय पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है
  • क्लेमन्स स्पाइनलेस
  1. Selection
  • पूसा मखमली
  • गुजरात भिंडी नंबर 1
  • Co -1
  1. Hybrids
  • पूसा सवाणी: – पूसा मखमली X आईसी 1542, स्पाइनलेस, पीएच की अधिक रेंज के लिए उपयुक्त और लवणता के प्रति सहनशील है।
  • अर्का अनामिका:- esculentus X A. manihot spp. tetraphyllus
  • अर्का अभय:- esculentus (IIHR 20-31) X A. manihot spp. tetraphyllus, यह अर्का अनामिका की sister line है, जो छंटाई के बाद जल्दी से शाखाएं निकलती है।
  • पंजाब पद्मनी:- esculentus X A. manihot spp. Manihot, YVMV के लिए प्रतिरोधी और जसिड और कपास boll worm के प्रति सहिष्णु है।
  • परभानी क्रांति:- esculentus cv. Pusa Sawani X A. manihot spp. manihot
  • पंजाब -7:- esculentus cv. Pusa sawami X A. manihot spp. Manihot

वर्षा उपहार (HRB 9-2): लैम Selection 1 X परभानी क्रांति, YVMV के प्रति प्रतिरोधी और leaf हॉपर के लिए सहिष्णु।

  • हिसार उन्नत (HRB-55): Selection 12-2 x परभनी क्रांति, YVMV के प्रति प्रतिरोधी, अगेती किस्म।
  • पांचाली
  • Adhunik
  • सुप्रिया
  • वर्षा

4. Mutant 

  • MDU1 :- पूसा सवाणी से निकली हुई।
  • EMS 8
  • पंजाब-8(EM 58): पूसा सवाणी से निकली हुई, YVMV के प्रति प्रतिरोधी और फल छेदक के प्रति सहिष्णु।

 

5. YVMV के प्रति प्रतिरोधी किस्में (Yellow Vein mosaic virus resistant)

  • अर्का अनामिका
  • अर्का अभय
  • हिसार बरसाती
  • वर्षा उपहार
  • पूसा सावनी
  • पंजाब पदमनी
  • प्रभनी क्रांति
  • Co-1:
  • आज़ाद क्रांति
  • पूसा A-4: YVMV के प्रति प्रतिरोधी, जेसिड़ और तना एवं फल छेदक के प्रति सहिष्णु, छंटाई के बाद जल्दी से शाखाएं निकलती है।

जलवायु

भिंडी उष्णकटिबंधीय जलवायु की फसल है और सर्वोत्तम उत्पादन के लिए गर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यह सूखे और कम तापमान (पाले) के लिए अतिसंवेदनशील है। भिंडी की फसल के लिए अधिकतम तापमान 20-30oC है। बीज अंकुरण के लिए 25 और 35oC के बीच का  तापमान आवश्यक है। जब गर्मियों में तापमान 42oC से ऊपर चला जाता है तो फूलों की कलियां झड़ने लग जाएगी और कम उपज का कारण बनता हैं।

मिट्टी

इसकी खेती रेतीली दोमट से लेकर सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। हालांकि, अच्छी पैदावार के लिए ढीली, बेहतर जल निकासी वाली अच्छी तरह से सड़ी हुई दोमट मिट्टी  उत्तम रहती है। भिंडी के लिए मिट्टी का उपुक्त पीएच 6-6.8 होता है।

बुवाई का समय

  • मैदानी क्षेत्रों में बुआई फरवरी-मार्च में वसंत-गर्मियों की फसल के लिए और वर्षा ऋतु की फसल के लिए जून-जुलाई में की जाती है।
  • अगेती फसल जुलाई की तुलना में YVMV से कम प्रभावित होती है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में, फसल अप्रैल से जुलाई तक बोई जाती है।
  • दक्षिण भारत में, यह उपुक्त जलवायु के कारण, वर्ष भर बोया जा सकता है।

बीज दर

  • वसंत गर्मियों की फसल के लिए बीज दर 18-22 किलोग्राम / हेक्टेयर और बरसात के मौसम या खरीफ के लिए 8-10 किलोग्राम / हेक्टेयर रखी जाती है

क्षेत्र की तैयारी

मिट्टी की एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से और फिर 3-4 बार देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करनी चाहिए। अंतिम जुताई में 20-25 टन / हेक्टेयर FYM मिट्टी में मिलाया जाता है।

बीज बोना

बीजों को सीधे सीड ड्रिल, हाथ से दबाना द्वारा (dibbling) समतल क्यारी बोया जाता है। बीजों को मेढ़ों  पर भी बोया जाता है, यह उचित अंकुरण सुनिश्चित करता है; सिंचाई का आर्थिक उपयोग और बारिश के मौसम में जल निकासी में मदद करता है।

पौध दूरी

ब्रांचिंग (शाखाओं) वाली क़िस्मों के लिए, पौधे से पौधे की दूरी 60 X 30 सेमी रखी जाती है, जबकि गैर-शाखा प्रकार के लिए 45 X 30 सेमी। गर्मी के मौसम के दौरान पौधे की कम वृद्धि के कारण दूरी 45 x 20 सेमी या उससे कम रखी जाती है।

खाद और उर्वरक

खाद और उर्वरकों की मात्रा मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है, आम तौर पर, आखिरी जुताई के समय 25 टन / हेक्टेयर FYM दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त मध्यम पोषक मिट्टी में 125 किग्रा / हेक्टेयर N, 75 किग्रा / हे P और 63 किग्रा / हेक्टर K की आवश्यकता होती है। P और K की पूर्ण मात्रा और नाइट्रोजन का आधा हिस्सा बुवाई के समय बेसल खुराक के रूप में दिया जाना चाहिए, जबकि शेष आधा नाइट्रोजन बुवाई के 35-40 दिनों बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में दिया जाना चाहिए।

सिंचाई

बरसात के मौसम में, आवश्यकतानुसार फसल की सिंचाई करें। वसंत और गर्मियों के मौसम में फसल को 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। बाढ़ विधि (Flood method) की तुलना में भिंडी में ड्रिप सिंचाई अधिक फायदेमंद है। यह काफी उपज बढ़ाता है और 75-80% सिंचाई पानी बचाता है।

खरपतवार नियंत्रण

प्रारंभिक अवस्था में लगभग 2-3 निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। पूर्व बुवाई खरपतवार नाशी जैसे बेसलीन @ 2.5 लीटर / हेक्टेयर मिट्टी के अनुप्रयोग और बुआई के बाद Lasso @ 5 लीटर / हेक्टेयर के अनुप्रयोग से अधिकतम खरपतवारों का अच्छा नियंत्रण हो जाता है।

रसायनों और विकास नियामकों का उपयोग

Sr. No.

Chemical and PGR

Doses

प्रभावकारिता

1

cycocel

100 ppm (बीज उपचार 24 घंटे तक)

फलन और उपज बढ़ाएं

2.

GA3

400 ppm (बीज उपचार)

अंकुरण बढ़ाए

3.

IAA

200 ppm (बीज उपचार)

अंकुरण बढ़ाए

4

NAA

20ppm (बीज उपचार)

अंकुरण बढ़ाए

5

ethephon

100-500ppm

वृद्धि और शीर्ष प्रभाविता को रोकता है

 

तुड़ाई

फल फूल आने के 7-8 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फलों की तुड़ाई तब करनी चाहिए जब वे अपरिपक्व, हरे और 8 से 10 सेमी आकार के हों। सामान्य तौर पर, एक दिन के अंतराल पर तुड़ाई की जाती है। तुड़ाई में देरी होने से फल रेशेदार और खराब खाद्य गुणवत्ता के हो जाते है।

उपज

वसंत-गर्मियों के दौरान 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और वर्षा के मौसम में 90-120 वर्ग प्रति हेक्टेयर की औसत उपज मिल जाती है।

भौतिक विकार

बीज अंकुरण कम होना

बीज अंकुरण तब कम होता है जब मिट्टी का तापमान 150C या उससे कम रहता है। यह समस्या अगेती  वसंत फसल की खेती के दौरान होती है जब बीज को कम तापमान की स्थिति में बोया जाता है।

प्रबंधन

  • बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोया जाता है।
  • बीज को गर्म पानी 450C में 1 -2 घंटे के लिए भिगोया जाता है।
  • आधे घंटे के लिए बीज को अल्कोहल के साथ उपचरित किया जाना चाहिए।

कीट और प्रबंधन

  1. Stem and fruit borer (Earias vittela) : – कीट के लट पौधे के शीर्ष को खाना शुरू करते हैं और फूलों की कलियों और युवा फलों में छेद कर देते हैं।

नियंत्रण

  • 0.1% कार्बेरिल या मोनोक्रोटोफॉस 0.1% का फसल पर छिड़काव करें।
  1. Jassids or Leaf hoppers (Amarasca biguttula) : – यह भिंडी का गंभीर कीट है। ये कोमल पत्तों से रस को चूसते हैं, जिससे पत्तियां का कर्ल (मुड़ने) होने लगती है और किनारों से जल जाती है।

नियंत्रण

  • फ़ॉस्फ़ोमिडोन या ऑक्सीमिथाइल डेमेटोन 0.5% का फसल पर छिड़काव करें।

3.  Leaf Weevil: – कीट का वयस्क पत्ती के ऊतक को खाता है और छेद देता है।

नियंत्रण

  • फसल पर 0.1% मोनोक्रोटोफॉस या रोगोर या पैराथियान का छिड़काव करें।

रोग प्रबंधन

  1. Powdery Mildew: – प्रारंभिक लक्षण पत्तियों की निचली सतह पर दिखाई देते हैं वहाँ सफेद पाउडर के धब्बे दिखाई देते हैं। बाद में पत्तियां पीली हो जाती हैं और गिरने लग जाती हैं।

नियंत्रण

  • 30 ग्राम वेटेबल सल्फर या 5 मिली डिनोकॉप 10 लीटर पानी में में घोल बना कर रोग नजर आते ही स्प्रे करें।

 

  1. Yellow Vein Mosaic Virus: – यह भिंडी की गंभीर बीमारी है जो सफेद मक्खी द्वारा फैलती है। पत्तियों के साथ-साथ पौधे के फल पीले हो जाते हैं और फलन भी प्रभावित होता हैं।

नियंत्रण

  • प्रभावित पौधे को देखते ही उखाड़ कर नष्ट कर दे।
  • पूसा सायानी, अर्का अनामिका, अर्का अभय, हिसार बरसाती, वर्षा उपहार आदि रोग प्रतिरोधी किस्में उगाएं।
  • मोनोक्रोटोफोस 1% या डाइमेथोएट का फसल पर छिड़काव करके वाहक पर नियंत्रण रखें।

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