Horticulture Guruji
Exercise 9
To study the plant propagation by ground layering
लेयरिंग: लेयरिंग एक तने पर जड़ों का विकास है जबकि यह अभी भी मूल पौधे से जुड़ा हुआ होता है। जड़ वाला तना तब अलग कर लिया जाता है और अपनी जड़ों पर उगने वाला एक नया पौधा बन जाता है।
आवश्यक सामग्री
- ग्राफटिंग चाकू
- स्केटीयर
- पौधे
1) टिप लेयरिंग: आमतौर पर इसका उपयोग उन पौधों में किया जाता है जिनमें अनुगामी (trailing) प्रकार की शाखाएं होती हैं। यह काफी कुछ साधारण लेयरिंग के समान है। टिप लेयरिंग द्वारा प्रचारित पौधों के उदाहरणों में बैंगनी और काले रसबेरी, और अनुगामी ब्लैकबेरी शामिल हैं
प्रक्रिया: 3 से 4 इंच गहरा गड्ढा खोदें। इसमें वर्तमान मौसम के अंकुर/शाखा की नोक डालें और इसे मिट्टी से ढक दें। टिप/नोक पहले नीचे की ओर बढ़ती है, फिर तेजी से मुड़ती है और फिर ऊपर की ओर बढ़ती है। मोड़ पर जड़ें बनती हैं। फिर से घुमावदार टिप/नोक एक नया पौधा बन जाता है। जड़ें निकलने के बाद इसे पैतृक पौधे से काट कर हटा दें और इसे सर्दी के अंत में या शुरुआती वसंत में लगाएं।
2) सिंपल लेयरिंग: इस विधि में, एक शाखा को जमीन पर झुका दिया जाता है और इसके कुछ हिस्से को मिट्टी से ढक दिया जाता है, जिसमें शाखा का अंतिम छोर खुला रहता है। जड़ की शुरुआत मुड़े हुए और दबे हुए हिस्से में होती है। जड़ बनने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद जड़ वाले तने को पैतृक वृक्ष से अलग कर दिया जाता है। उदा. बोगनविलिया, जैस्मीन, रंगून लता।
प्रक्रिया: पौधे के आधार की ओर एक स्वस्थ, लचीली और पर्याप्त लंबी (50 से 60 सेमी) शाखा का चयन करें। चयनित शाखा जमीन के करीब होनी चाहिए। टिप से लगभग 15 से 30 सेमी की दूरी पर एक नोड के नीचे एक तेज, तिरछी अंदरूनी और ऊपर की ओर 1.5 से 2.5 सेमी का कट लगाएं और एक छोटा लकड़ी का टुकड़ा इसमें डालें। शाखा को धीरे से जमीन पर झुकाएं ताकि उपचारित भाग को आसानी से मिट्टी में डाला जा सके। उपचारित क्षेत्र को मिट्टी से ढक दें। शाखा को जगह पर रखने के लिए टहनी को नीचे करें और ढकी हुई मिट्टी पर ईंट का पत्थर रखें।
दबी हुई शाखा के किनारे मिट्टी में एक ऊर्ध्वाधर सहारा लगाए और शाखा के शीर्ष हिस्से को सीधा रखने के लिए बांध दें। दबे हुए हिस्से को नियमित रूप से पानी दें ताकि जड़ शुरू होने तक इसे पूरी तरह से नम रखा जा सके। पर्याप्त जड़ बनने के बाद लेयर को जड़ वाले क्षेत्र के ठीक नीचे काटकर अलग करें।
3) टीला (स्टूल) लेयरिंग: इस विधि में, एक पौधे को सुप्त मौसम के दौरान वापस जमीनी स्तर तक काट दिया जाता है और नए विकसित हो रहे अंकुरों/शाखाओं के आधार के चारों ओर मिट्टी का ढेर लगा दिया जाता है। जड़ की शुरुआत के लिए पर्याप्त समय देने के बाद, अलग-अलग जड़ वाली कलमों को पैतृक पौधे से अलग किया जाता है और नर्सरी में रोपित किया जाता है। उदा. सेब की जड़ें, अमरूद, लीची, क्विंस।
प्रक्रिया: टीला लेयरिंग के लिए पौधे का चयन करें या खाई में जड़ वाली कलम लगाएं और इसे एक साल तक बढ़ने दें। विकास शुरू होने से ठीक पहले पौधे को जमीनी स्तर से 2.5 सेमी तक काट दें। नए अंकुरों/ शाखाओं को विकसित होने दें। जब ये अंकुर 7 से 15 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं, तो उन्हें आधार पर बांध दें और इन अंकुरों के आधार से छल्लेनुमा छाल को हटा दे तथा इस हिस्से को अनुशंसित ग्रोथ रेगुलेटर से उपचारित करें और प्रत्येक शाखा के चारों ओर ढीली मिट्टी को उसकी आधी ऊंचाई तक लगा दें। जब ये अंकुर/शाखाएं 20 से 25 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं तो उनकी आधी ऊंचाई पर दोबारा मिट्टी डालें। जब अंकुर/शाखाएं लगभग 35 से 45 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ते हैं तो फिर से मिट्टी डालें। जमी हुई मिट्टी को नियमित रूप से पानी दें और जड़ों की निकलने के लिए पर्याप्त समय दें। पर्याप्त जड़ बनने के बाद, जमी हुई मिट्टी को हटा दें और जड़ वाली टहनियों को उनके आधार से अलग-अलग काट लें। जड़ वाले कलमों को गमलों या उपयुक्त कंटेनरों में रोपित करें।
References cited
- Commercial Fruits. By S. P. Singh
- A text book on Pomology, Vol,1. by T. K. Chattapadhya
- Tropical Horticulture, Vol.1, by T. K. Bose, S. K. Mitra, A. A. Farooqui and M. K. Sadhu