परिदृश्य (Landscape)
“एक परिदृश्य को किसी क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, या तो बड़ा या छोटा, जिस पर दृश्य या डिज़ाइन को ढालना संभव या वांछनीय है”।
लैंडस्केपिंग गार्डनिंग
“यह परिदृश्य को बेहतर बनाने की दृष्टि से उद्यान रूपों (शैलियों), विधियों और सामग्रियों के अनुप्रयोग के रूप में वर्णित किया जा सकता है।” डिजाइनिंग की कला को “लैंडस्केप आर्किटेक्चर” के रूप में जाना जाता है, हालांकि पुराना शब्द “लैंडस्केपिंग गार्डनिंग” भी लोकप्रिय है।
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भू-दृश्यीकरण का महत्व
- जैव-सौंदर्य रोपण (Bio-aesthetic planting)
- बायो-एस्थेटिक प्लांटिंग शब्द प्रोफेसर लैंसलॉट हॉगबेन द्वारा दिया गया है, जिसका अर्थ है आसपास के सौंदर्यीकरण में उपलब्ध वनस्पतियों और जीवों का उचित उपयोग।
- भारत में, जैव-सौंदर्य रोपण के विषय का प्रचार डॉ. एम.एस. रंधावा ने मशहूर आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए और पियरे जेनेरेट के साथ मिलकर चंडीगढ़ में पौधारोपण को व्यावहारिक रूप देकर किया।
- कस्बे और शहर की सड़कें चौड़ी होनी चाहिए, फूलों वाले पेड़-पौधे लगे होने चाहिए और हानिरहित पशु-पक्षियों के संरक्षण के साथ-साथ विशाल पार्क भी होने चाहिए।
- प्रदूषण (वायु एवं ध्वनि)
- आजकल वायु प्रदूषण दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है।
- आवासीय घर के कोयला भट्टियों (चूल्हों) से निकलने वाला धुआं, कारखानों की पीसने वाली मिलों और चिमनियों से निकलने वाली धूल और धुआं, और मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं – ये सभी हमारे शहरों के प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
- वायु प्रदूषण को रोकने में खुले स्थान जैसे पार्क और जीवित पौधों की भूमिका सर्वविदित है।
- पार्कों को शहर का फेफड़े माना जाता है।
- पेड़ों की बाधा ध्वनि प्रदूषण, धूल प्रदूषण और वायु प्रदूषण को रोकती है।
- मानव कल्याण
- यह एक बड़ी त्रासदी है कि बड़े शहरों में हमारे अधिकांश बच्चों के पास खेलने और रंग-बिरंगे फूलों, पक्षियों और तितलियों को देखने के लिए कोई जगह नहीं है।
- भारत जैसे अल्प-विकासशील देश में भी, लोग केवल रोटी पर निर्भर नहीं रह सकते है।
- सुंदर पेड़ों और फूलों वाले विशाल पार्क जहां नागरिक आराम कर सकते हैं, मन की शांति पा सकते हैं और दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद ताजी हवा में सांस ले सकते हैं