लेमन / बड़ा नींबू

Horticulture Guruji

लेमन / बड़ा नींबू

फल विज्ञान

वानस्पतिक नाम  – सिट्रस लिमोन

कुल – रूटेसी

उत्पत्ति – भारत

फल का प्रकार- हेस्परिडियम

पुष्पक्रम का प्रकार – साइमोस (एकान्त)

खाने योग्य भाग – रसीले प्लेसेंटल हेयर

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महत्वपूर्ण बिन्दु 

  • गलगल इसका पैतृक रूप होता है
  • लेमन को 4 समूहों में बांटा गया है – यूरेका 2. लिस्बान 3. अनामेलस 4. स्वीट लेमन

किस्में

  • यूरेका
  • लिस्बन
  • विलाफ्रांस – (यूरेका समूह)
  • लखनऊ सीडलेस
  • कागजीकलां
  • नेपाली ओब्लॉंग
  • नेपाली राउंड
  • पंत लेमन – 1 – स्व-अनिषेच्य
  • बारामसी
  • हिल लेमन (गलगल) (सी. स्यूडोलेमोन)

जलवायु

  • उपोष्णकटिबंधीय जलवायु और अर्ध-शुष्क स्थिति उपयुक्त रहती है।
  • पाले के प्रति सहिष्णु होता है,
  • यह समुन्द्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है।

मिट्टी

  • अच्छे जल निकास वाली, गहरी, मध्यम से हल्की दोमट मिट्टी।

प्रवर्धन

  • मुख्य रूप से बीज द्वारा प्रवर्धित किया जाता है।

रोपण

  • गड्ढे 60-75 सेमी3 आकार के 6×6 मीटर की दूरी पर गर्मियों में खोदे जाते हैं।
  • रोपण मानसून की शुरुआत में किया जाता है।

सिंचाई

  • पहली सिंचाई रोपण के ठीक बाद की जाती है।
  • गर्मी में 10 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 10-15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए।
  • फूल आने और फलने की अवस्था के दौरान मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखनी चाहिए।

खाद और उर्वरक

  • आम तौर पर, उर्वरक साल में तीन बार यानी दिसंबर-जनवरी, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में दिया जाता है
  • गोबर की खाद जून-जुलाई या सितंबर-अक्टूबर में दी जाती है।
  • एन.पी.के. 600 : 400 : 600 ग्राम/पेड़

संधाई और छंटाई

  • युवा पौधों को सहारा दिया जाता है ताकि वे पूर्ण विकसित हो सकें।
  • वाटर स्प्राउट्स, कमजोर, आड़ी-तिरछी शाखाओं को समय-समय पर काटा जाता है।

तुड़ाई

  • रोपण के चौथे वर्ष के बाद पेड़ में फल आना शुरू हो जाते हैं।
  • पूरी तरह से पके फलों को तोड़ा जाता है।
  • तुड़ाई दक्षिण भारत में मई से सितंबर में और पूर्वी भारत (असम) में जून से सितंबर में की जाती है।
  • उत्तर भारत में – दिसंबर से जनवरी।

उपज

  • 600 – 800 फल प्रति वर्ष प्रति पेड़।
  • कुछ किस्मों से उपज 85 किग्रा / पौधा तक मिल जाती है

References cited

  1. Commercial Fruits. By S. P. Singh
  2. A text book on Pomology, Vol,1. by T. K. Chattapadhya
  3. Tropical Horticulture, Vol.1, by T. K. Bose, S. K. Mitra, A. A. Farooqui and M. K. Sadhu